Monday, May 27, 2013

पोल खुल गई 

 छत्तीसगढ़ में जो भयानक हादसा हुआ वह हमारे देश के आम नागरको की आँखों में धूल झौंक कर उन्हे मूर्ख  बनाने का मेरे कांग्रेसी भाइयों का एक बहुत बड़ा षड्यंत्रकारी  प्रयास है .

जो हकीकत धीरे -धीरे सामने आ रही है उसे समझने के बाद देश के हर नागरिक की गर्दन शर्म से नीचे झुक जायेगी

.हम सब यह सुनते आये हैं कि  सत्ता प्राप्त  करने के लिए  मुस्लिम शासक बड़े -बड़े षड्यंत्र रचा करते थे , हमारे कांग्रेसी भाई भी सत्ता  पाने के लिए षड्यंत्र रचने में किसी मुस्लिम बादशाह से कम नहीं हैं , यह बात छत्तीसगढ़ के हादसे के बाद शीशे की तरह एकदम साफ़ हो गई है .

कल  शाम से टी वी वाले भी सवाल उठाने लगे हैं , की एन आखिरी वक़्त पर किस कांग्रेसी नेता के कहने पर कांग्रेसी परिवर्तन यात्रा का रूट बदला गया ?

 श्री अजित सिंह हादसे से एन पहले यात्रा से क्यों खिसक गए ? बाकी लोग मारे गए  लेकिन लोकल कांग्रेसी एम् एल ए महोदय कैसे बच गए  ?

 ( हम यह कभी नहीं  चाहेंगे कि हमारे यह भाई भी उस हमले में  मारे जाने चाहियें थे , हमारा तो यह कहना है कि यह दोनों एन वक़्त पर कैसे और क्यों खिसक गए और बच भी गए . जबकि साफ़-साफ़ यह कहा जा रहा है कि इन्हीं लोगों के कहने पर यात्रा का रूट भी  बदला गया था . )

 इस बात को छत्तीसगढ़ का बच्चा - बच्चा जानता है कि श्री अजित सिंह , जो छत्तीसगढ़ के मुक्ष मंत्री  रह चुके हैं , और अब भी इसाई होने के कारण श्रीमती सोनिया गांधी के लाडले हैं , एक बार फिर से छत्तीसगढ़ की मुक्षमंत्री की गद्दी के प्रबल दावेदार हैं और उनके सर पर श्रीमती सोनिया गाँधी का वरदहस्त  भी है . इस नक्सली हमले में मारे गए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री नन्द कुमार पटेल  जो छत्तीसगढ़ की राजनीति में ज़मीनी नेता माने जाते थे अपनी मेहनत  के दम पर छत्तीसगढ़ में  बहुत ऊँचे कद के नेता के रूप में उभर चुके थे और मुक्षमंत्री पद के बहुत बड़े दावेदार माने जा रहे थे और इसीलिए श्री अजित सिंह की आँखों में खटक भी रहे थे .

खबरें तो ये भी आ रही हैं कि इस हमले का असली उद्देश्य तो श्री नन्द कुमार पटेल  को ही मौत के घाट  उतारना था  , क्योंकि ज्योंही नक्सली घटी में नीचे उतरे , उन्होंने नन्द कुमार पटेल का नाम ले -ले   कर  जोर -जोर से चिल्लाते हुए नन्द कुमार पटेल कहाँ है , नन्द कुमार पटेल कहाँ है  कहते हुए नन्द कुमार पटेल को ढूँढना शुरू कर दिया था . बाकी लोग तो नन्द कुमार पटेल की खोज के दौरान ही  मारे गए . नन्द कुमार पटेल और उसका बेटा दिनेश जब मारे जा चुके तो सारे के सारे नक्सली भाग खड़े हुए .

 विश्वास ही नहीं होता कि कोई कैसे अपनी ही राजनितिक पार्टी के लोगों की ह्त्या की साज़िश रच सकता है .

पर जो खबरें टी  वी  पर आ रही हैं और जो प्रश्न मीडिया में उठाये जा रहे हैं , उन्हें कैसे झुठलाया जाय . मज़े की बात  तो ये है कि श्री अजित सिंह ने हमले के तुरंत बाद ये कहना शुरू कर दिया था कि यह हमला कांग्रेस की लोकप्रियता को देखते हुए जानबूझ कर उसके नेताओं को मारने के लिए करवाया गया .

अब छत्तीसगढ़ में चुनाव होने वाले हैं , तो श्री अजित सिंह जोगी ने इस हमले के नाम पर अपनी राजनितिक रोटियाँ सेकनी शुरू कर दी हैं .अब तो उनके लिए वही बात हो गई , चुपड़ी हुई भी ,और दो -दो भी ,भाई रस्ते का काँटा भी साफ़ हो गया और पार्टी को जनता की सहानुभूति भी मिलने लगी .अब कांग्रेसी जोर-जोर से छाती पीटते हुए इस हमले को चुनावी मुद्दा बनाने में कोई कसार नहीं छोडेंगे .

 वाह रे राजनीति .



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