तोता - मैना की कहानी
एक दिन एक विद्वान व्यक्ति एक जंगल के रास्ते से होकर अपने किसी काम से जा रहा था , चलते-चलते थकावट के कारण वह व्यक्ति एक घने वृक्ष की छांह में आराम करने के लिए बैठ गया .अचानक उसे पेड़ की एक डाल पर बैठे आपस में बातें करते तोता-मैना की एक जोड़ी दिखाई दी .दोनों आपस में जो बातें कर रहे थे उन्हें सुन कर वह व्यक्ति बड़ी सोच में पड़ गया .असल में वह विद्वान् व्यक्ति पक्षियों की भाषा समझता था .
तोता-मैना की जिन बातों को सुनकर वह विद्वान व्यक्ति सोच में पड़ गया था वह आप भी सुनिए और फैसला करिए की उस विद्वान का चिंता में पड़ जाना कितना सही था .
( तोता-मैना की बातें उनके वार्तालाप के ही रूप में प्रस्तुत हैं .)
मैना - क्या बात है तोते राजा , बड़े उदास नज़र आ रहे हो ?
तोता - असल में मैं बहुत दुखी हूँ , आस्ट्रेलिया में हमारी टीम आखरी मैच
भी हार गई .
मैना - इसमें दुखी होने की क्या बात है , कई बार सिरीज़ के सारे मैच जीते
भी तो हैं .
तोता -हाँ लेकिन इस बार की हार दिग्गज खिलाड़ियों की लापरवाही की
वजह से हुई है , जो बहुत गलत बात है .
मैना -ऐसा क्यों ?
तोता -बताते हैं कि कुछ सीनियर खिलाड़ी कैप्टन का कहना नहीं मानते
और जान-बूझकर उसकी सलाह के विरुद्ध जाते हैं . इस
अनुशासनहीनता का पूरी टीम के खेल प्रदर्शन पर बुरा प्रभाव पड़ता
मैना - क्या बात है तोते राजा , बड़े उदास नज़र आ रहे हो ?
तोता - असल में मैं बहुत दुखी हूँ , आस्ट्रेलिया में हमारी टीम आखरी मैच
भी हार गई .
मैना - इसमें दुखी होने की क्या बात है , कई बार सिरीज़ के सारे मैच जीते
भी तो हैं .
तोता -हाँ लेकिन इस बार की हार दिग्गज खिलाड़ियों की लापरवाही की
वजह से हुई है , जो बहुत गलत बात है .
मैना -ऐसा क्यों ?
तोता -बताते हैं कि कुछ सीनियर खिलाड़ी कैप्टन का कहना नहीं मानते
और जान-बूझकर उसकी सलाह के विरुद्ध जाते हैं . इस
अनुशासनहीनता का पूरी टीम के खेल प्रदर्शन पर बुरा प्रभाव पड़ता
है .
मैना -तुम्हारा मतलब यह हुआ कि टीम में नेतृत्व संकट है .
तोता -हाँ यही लगता है , हालांकि वर्तमान कैप्टेन में कोई कमी नहीं
नज़र आती , बस सिनिअर खिलाड़ियों कि अकड़ और ईगो के
कारण सारी परेशानी पैदा हो रही है .
मैना -तो क्या हल सोचा ?
तोता -शायद कैप्टेन बदलेंगे
मैना -उससे क्या होगा , थोड़े दिन के बाद उसके खिलाफ भी बगावत शुरू
हो जायेगी . ये कोई पक्का इन्तजाम नहीं है टीम में अनुशासन
बनाए रखने का .
तोता -तो तू क्या कहती है , क्या करना चाहिए पक्का अनुशासन कायम
रखने के लिए ?
मैना -मैं तो कहती हूँ राहुल गांधी को कैप्टेन बना देना चाहिए .सब ठीक हो
जाएगा .
तोता -क्या बकवास करती है , क्रिकेट का राहुल गांधी से क्या सम्बन्ध .
कहाँ राम-राम , कहाँ टें-टें . वो तो लोगों की देखा-देखी कभी-कभी
बस मैच देखने पहुँच जाता है .
मैना -अरे तो उसे राजनीति की कौनसी समझ है , पर देख लो सारे के सारे
केबिनेट मिनिस्टर तक जो एक इमानदार और काबिल प्रधान मंत्री
की रत्ती भर भी परवाह नहीं करते और खुलेआम अनुशासनहीनता
का प्रदर्शन करते फिरते हैं कैसे राहुल गांधी के एक इशारे पर सीधे
हो जाते हैं .
तोता -पर वो बिचारा भी कब तक संभालेगा , जब वो बड़ा हो जाएगा तब
कौन संभालेगा ?
मैना -तू उसकी चिंता छोड़ दे .जब तक राहुल बड़ा होगा तब तक उसका
बेटा खडा हो जाएगा . रौब उसका भी उतना ही रहेगा आखिर वो भी तो
उसी खानदान का रोशन-चिराग होगा .
तोता - तेरी बात बिलकुल सही है , यही है पक्का और इकलौता इन्तजाम
मैं अभी शरद पंवारजी के पास जाता हूँ और उन्हें तेरी सलाह से
सहमत कराता हूँ .
और तोता उड़ गया - विद्वान के भी तोते उड़ा गया
मैना -तुम्हारा मतलब यह हुआ कि टीम में नेतृत्व संकट है .
तोता -हाँ यही लगता है , हालांकि वर्तमान कैप्टेन में कोई कमी नहीं
नज़र आती , बस सिनिअर खिलाड़ियों कि अकड़ और ईगो के
कारण सारी परेशानी पैदा हो रही है .
मैना -तो क्या हल सोचा ?
तोता -शायद कैप्टेन बदलेंगे
मैना -उससे क्या होगा , थोड़े दिन के बाद उसके खिलाफ भी बगावत शुरू
हो जायेगी . ये कोई पक्का इन्तजाम नहीं है टीम में अनुशासन
बनाए रखने का .
तोता -तो तू क्या कहती है , क्या करना चाहिए पक्का अनुशासन कायम
रखने के लिए ?
मैना -मैं तो कहती हूँ राहुल गांधी को कैप्टेन बना देना चाहिए .सब ठीक हो
जाएगा .
तोता -क्या बकवास करती है , क्रिकेट का राहुल गांधी से क्या सम्बन्ध .
कहाँ राम-राम , कहाँ टें-टें . वो तो लोगों की देखा-देखी कभी-कभी
बस मैच देखने पहुँच जाता है .
मैना -अरे तो उसे राजनीति की कौनसी समझ है , पर देख लो सारे के सारे
केबिनेट मिनिस्टर तक जो एक इमानदार और काबिल प्रधान मंत्री
की रत्ती भर भी परवाह नहीं करते और खुलेआम अनुशासनहीनता
का प्रदर्शन करते फिरते हैं कैसे राहुल गांधी के एक इशारे पर सीधे
हो जाते हैं .
तोता -पर वो बिचारा भी कब तक संभालेगा , जब वो बड़ा हो जाएगा तब
कौन संभालेगा ?
मैना -तू उसकी चिंता छोड़ दे .जब तक राहुल बड़ा होगा तब तक उसका
बेटा खडा हो जाएगा . रौब उसका भी उतना ही रहेगा आखिर वो भी तो
उसी खानदान का रोशन-चिराग होगा .
तोता - तेरी बात बिलकुल सही है , यही है पक्का और इकलौता इन्तजाम
मैं अभी शरद पंवारजी के पास जाता हूँ और उन्हें तेरी सलाह से
सहमत कराता हूँ .
और तोता उड़ गया - विद्वान के भी तोते उड़ा गया