Tuesday, April 26, 2011

parichay

दिल खोल , बिंदास बोल 

शीर्षक अपना परिचय स्वयं है . हर खासोआम का यहाँ दिल खोल कर , बाहें पसार कर स्वागत है .

 अच्छा-बुरा जैसा भी था , गुजरा ज़माना ,जो बीत गया , उसकी यादें , चाहे आहों भरी , चाहे गुदगुदाती हुई , सब को सब के साथ ,दिल खोल कर ,बिना किसी लाग-लपेट के , बेधड़क , कह डालिए .

आज , अभी , जो घट रहा है ,जो नई-नई विचारों की हिलोरें उठ रही हैं दिलो-दिमाग में , घटनाएं जो अच्छे-बुरे परिणाम दे रही हैं , चाहे वो व्यक्तिगत हों चाहे समाज की या  चाहे देश की ,सभी तो हमारी अपनी हैं , अगर बेचैनी पैदा कर रही हैं तो फ़टाफ़ट उगल दीजिये और हलके हो जाइए .

ख्यालों की दुनिया , आने वाले वक़्त का तसव्वुर , तसव्वुर में आते खूबसूरत और हमदर्द हमसफ़र ,या फिर खौफनाक ख्यालों की धुआंधार सब को सामने ले आइये  .

देखना आप  एक कहोगे तो बाकी भी हिम्मत करेंगे और आपकी  पंक्ति में आन खड़े होंगे .

आइये हम सब मिलकर इसे एक स्वच्छ एवं बेधड़क विचारों का मंच बनाएं, जहां  बिना अशलीलता बघारे , बिना राष्ट्र विरोधी बातें किये हम सब अपने-अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकें .

सूना है कुछ सिरफिरे भ्रष्टाचार जैसी सुविधाजनक परिस्तिथि को मिटा देना चाहते हैं ? हम जीयेंगे कैसे ?