भ्रष्टाचार और स्वामी रामदेव
हर-रोज़ आठ-दस पोस्टर्स - पैम्फलेट्स किसी ना किसी का प्रचार करते हुए प्राप्त हो ही जाते हैं . कई अखबार में रखे हुए आते हैं और कई सीधे घर-घर पहुंचाए जाते हैं . अधिकतर इन पैम्फलेट्स को एक नज़र देख कर फैंक दिया जाता है .
ऐसा ही एक पेम्फलेट आज सुबह मुझे अपने घर के मेन-गेट में फंसा हुआ मिला . पर इस पैम्फलेट को एक नज़र देखने के बाद मैं फैंक ना सका .
ये पैम्फलेट योग-गुरु स्वामी रामदेव जी द्वारा 4 जून से अनिश्चित-कालीन उपवास पर बैठने की सूचना देने के लिए एवम देश के जन-जन का इस सत्याग्रह में शामिल होने के लिए आव्हान करने के लिए था .
मुझे ये मामूली पैम्फलेट ना लगा , बल्कि आने वाले दिनों में देश में होने वाली जन क्रान्ति का अग्र-सन्देश लगा .
मुझे ये मामूली पैम्फलेट ना लगा , बल्कि आने वाले दिनों में देश में होने वाली जन क्रान्ति का अग्र-सन्देश लगा .
स्वामी जी , एक लाख से अधिक सत्याग्रहियों के साथ , देश की राजधानी, दिल्ली के रामलीला मैदान , में भ्रष्टाचार मिटाने के लिए और विदेशी बैंकों में जमा भारत का 300 लाख करोड़ से भी अधिक काला - धन वापिस लाने के लिए ये सत्याग्रह करने जा रहे हैं .
यानी 4 जून से अनिश्चित काल तक (जब तक केन्द्रीय सरकार इस बारे में कोई ठोस कदम ना उठा ले ) स्वामी जी और उनके साथ एक लाख से भी अधिक लोग दिल्ली की इस भीषण गर्मी में बिना कुछ खाए केवल जल पीकर रहेंगे .
बहुत कठिन और बहुत पीड़ा-दायक होगा ये सत्याग्रह
मेरे मन में बहुत से प्रश्न घुमड़ रहे हैं , --
-- क्या वास्तव में हम भ्रष्टाचार मुक्त समाज चाहते हैं ?
--क्या हम इन भूख हड़ताल करने वालों की , शारीरिक पीड़ा का अंदाजा लगा सकने के अतिरिक्त , इनके द्वारा अनुभव की जा रही मानसिक पीड़ा का अन्दाजा लगा सकते हैं ?
4 जून 1941 मेरा जन्म दिवस है . और अब यह 4 जून एक एतिहासिक दिवस बनने जा रहा है .
यानी 4 जून से अनिश्चित काल तक (जब तक केन्द्रीय सरकार इस बारे में कोई ठोस कदम ना उठा ले ) स्वामी जी और उनके साथ एक लाख से भी अधिक लोग दिल्ली की इस भीषण गर्मी में बिना कुछ खाए केवल जल पीकर रहेंगे .
बहुत कठिन और बहुत पीड़ा-दायक होगा ये सत्याग्रह
मेरे मन में बहुत से प्रश्न घुमड़ रहे हैं , --
-- क्या वास्तव में हम भ्रष्टाचार मुक्त समाज चाहते हैं ?
--क्या हम इन भूख हड़ताल करने वालों की , शारीरिक पीड़ा का अंदाजा लगा सकने के अतिरिक्त , इनके द्वारा अनुभव की जा रही मानसिक पीड़ा का अन्दाजा लगा सकते हैं ?
बड़ी प्रसन्नता की बात ये है कि स्वामी जी ने इस सत्याग्रह की शुरुआत 4 जून से करने का निर्णय लिया है .
4 जून 1941 मेरा जन्म दिवस है . और अब यह 4 जून एक एतिहासिक दिवस बनने जा रहा है .
इस बार मैं अपना जन्म दिन स्वामी जी एवम अन्य एक लाख सत्याग्रहियों के साथ देश कल्याण की भावना मन में लेकर रामलीला मैदान , दिल्ली में उपवास करके मनाऊंगा .
आप क्या करेंगे ?
अपने मन में बसी देश प्रेम की भावना को लेकर घर में ही ना बैठे रहिये .
उपवास ना भी कर सकें तो उनके साथ खड़े होकर तो दिखाइये .
एक बार सच्चे मन से , दोनों हाथों की मुट्ठियाँ बाँध कर और दोनों हाथ ऊपर उठा कर जोर से बोलिए ,'' भारत माता की जय ''.
इंतज़ार करूंगा , देखूंगा किसमें कितना है दम .
इंतज़ार करूंगा , देखूंगा किसमें कितना है दम .