शेर का रूपांतरण गीदड़ के स्वरुप में .
चीन की सेना द्वारा यह पहली बार नहीं है , जब उन्होंने भारतीय सीमा रेखा का अतिक्रमण किया है।
अक्साइचिन आदि क्षेत्रों को तो उसने अपने कब्ज़े में कर ही लिया है और अब लद्दाख में बड़ी ढिठाई से घुसपैठ कर रहा है।हमारे सब एक्सपर्ट यह जानते हैं की चीन ये सारी कोशिशें सोच-समझ के कर रहा है।
चीन भारत के इस भू -भागपर सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण करना चाहता है।सब जानते हैं कि यह कदम भारत की सुरक्षा के लिए भारी ख़तरा साबित होने वाला है अतः इस घुस-पैठ को हटाने के लिए हमारी सेना के अधिकारियों ने चीन के सैनिक अधिकारियों से बातचीत करने के लिए फ्लैग मीटिंगें कीं, किन्तु सब बेकार। अभी पिछले दिनों आखरी /तीसरी कोशिश हमारे ब्रिगेडियर लेवल के अधिकारी द्वारा भी की गई।किन्तु हमारे सैनिक अधिकारियों के सारे प्रयत्न विफल हो गए।चीनी अपनी स्थिति से टस से मस नहीं हो रहे।
सब कुछ जानते -बूझते हुए भी हमारी सरकार आँखें मूंदे शान्ति -शान्ति का प्रलाप कर रही है। अब हमारे प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री चीन को मनाने का एक नया और बहुत ही हास्याप्रद तरीका अपनाना चाहते हैं।
हमारे सेना के अधिकारियों का मत था कि जब चीनी हमारा इलाका खाली नहीं कर रहे और हम उनके खिलाफ कोई सामरिक कार्यवाही भी नहीं करना चाहते , तो हमें चाहिए कि हम इस सारे इलाके कि पेट्रोलिंग बढ़ा दें ताकि चीनी इस इलाके में और अधिक सैन्यबल ना बढ़ा सकें।
लेकिन वाह री मेरी मोतियों वाली सरकार , तेरा भी जवाब नहीं। खुद तो हिम्मत दिखा नहीं सकते ,अरे , कम से कम फौजियों को तो उनके अपने हिसाब से अपना काम कर लेने दो।
लेकिन इन डरपोकों को यह डर सता रहा है कि यदि हमने अपने इलाके की गश्त बढ़ा दी तो चीनी नाराज़ हो जायेंगे , क्योंकि इससे घुसपैठियों की सप्लाई लाइन कट जायेगी और वो भूखों मर जायेंगे , जिससे डिप्लोमेटिक वार्ता पर बुरा असर पड़ सकता है।जैसे पहले बड़ी शानदार वार्ता चल रही हो।
बड़ी शर्म आती है इन लोगों की शर्मनाक हरकतों पर।
इश्वर ना जाने क्यों इन लोगों जैसे कमज़ोर लोगों के भरोसे हमारे देश को बर्बाद करने के लिए छोड़ बैठा है।
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