Monday, December 31, 2012

जोश के साथ होश


जोश के साथ होश 


पूरा देश आज दामिनी के बलात्कारियों को फांसी देने या उनका लिंग काटकर उन्हें नपुंसक बना देने की बात कर रहा है।
दामिनी से हुई बलात्कार की इस घिनौनी दुर्घटना ने पूरे देश को झिंझोड़ कर रख दिया है।आज महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ , उनके साथ होने वाले बलात्कार  के खिलाफ एवं उनके साथ हो रहे अन्य  घरेलु या सामाजिक ज़ुल्मों के खिलाफ , एक बहुत ही ज़ोरदार एवम असरदार वातावरण बन गया है।वातावरण के असर की  गम्भीरता केवल इसी बात से लगाईं जा सकती है कि इस पीड़ित लड़की के अन्तिम  संस्कार पर कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी एवम देश के प्रधान मन्त्री श्री मनमोहन सिंह जी को भी स्वयं शामिल होना पडा।यह सब देश के  नौजवान बच्चों के ज़बरदस्त आन्दोलन का ही जहूरा है कि आज इन सब स्वार्थी नेताओं को मगरमच्छी आंसू बहाने को  मजबूर होना पडा।आज हालत यह है कि सारे देशवासी एक सुर में ऐसे जालिमों के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाए जाने की मांग कर रहे हैं।और तो और सख्त से सख्त क़ानून बनाने के लिए पार्लियामेंट का विशेष सत्र बुलाये जाने तक की मांग बी .जे .प़ी  . की सदन में विपक्ष की नेता श्रीमती सुषमा स्वराज ने कर डाली।यह बात अलग है कि ढोंगी कांग्रेसी नेताओं ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया।

आज के हालात को देखते हुए एक बात तो तय है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए उन पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त क़ानून बनाये जाने की बहुत अधिक आवश्यकता है और उससे भी अधिक ,उन बनाए गए सख्त क़ानूनों  को बिना कोई ढिलाई किये जल्द से जल्द लागू करने की भी उतनी ही अधिक आवश्यकता है,ताकि ज़ुल्मिओं के मन में क़ानून का कुछ तो भय हो।

पर एक पक्ष और भी है जो यह कहता है कि हमारे देश में ह्त्या के जुर्म के खिलाफ बहुत सख्त क़ानून है।हत्यारों को फांसी की सज़ा दिए जाने का क़ानून मौजूद होते हुए भी रोज़ दिन हत्याएं होती रहती हैं और खून खराबे का बाज़ार गर्म रहता है।अपराधी लोग लालचवश हत्याएं करते हैं और बाकी लोग ज़मीन के झगड़ों को लेकर , पैसों के लेन -देन को लेकर,औरतों के साथ हुई बद्सलूक को लेकर या फिर किसी और कारण से क्रोध में आकर ह्त्या कर बैठते हैं।इस प्रकार की हत्याओं के समाचार रोज़-दिन सुनने में आते ही रहते हैं।ह्त्या करते समय, फांसी का भय किसी को नहीं डराता, कोई नहीं सोचता कि ह्त्या करना कानूनन बहुत घोर अपराध है और इसके लिए मुझे फांसी भी हो सकती है।बल्कि जिन के पास धन-दौलत या ऊंचे ओहदों की ताकत है वो तो किसी क़ानून से  डरते ही नहीं । या तो  उन लोगों को कोई पकड़ता नहीं और अगर कहीं किसी ख़ास वज़ह से कोई पकड़ा भी जाए तो अदालतों में मामले इतने लम्बे खिंचते  हैं कि न्याय की कमर ही टूट जाती है।लेकिन इस बीच में क़ानून के रखवालों की जेबें खूब गर्म होती हैं।

जब हत्याओं के मामलों में क़ानून की तलवार सिर्फ गरीब पर ही अपना असर दिखा पाती है तो क्या गारण्टी  है कि महिलाओं के मामलों में सख्त से सख्त क़ानून की तलवार हर गरीब या अमीर पर अपना बराबर का असर दिखायेगी।

देश का हर इन्साफ पसन्द नागरिक महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा का जीवन जीते हुए देखना चाहता है और उन पर अत्याचार करने वालों को जल्द से जल्द ,सख्त से सख्त सज़ा भी देना चाहता है लेकिन हर सजग आदमी इस बात से ज्यादा चिन्तित है कि कहीं महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने किसी सख्त क़ानून की तलवार किसी निर्दोष या गरीब आदमी का गला ना  काट दे।

जहां महिलाओं पर रोज़ अत्याचार हो रहे हैं वहीं कई बार ऐसे समाचार भी मिलते हैं कि किसी आदमी को फंसाने के लिए उसके खिलाफ झूठ-मूठ का 
मामला बनाने के लिए किसी औरत से बलात्कार आदि की झूठी रिपोर्ट लिखवा दी जाती है।ऐसे में वह निर्दोष शरीफ आदमी बहुत बुरी तरह से फँस जाता है।

अभी पिछले दिनों टी वी पर एक सच्ची घटना का विवरण आया था जिसमें  बताया गया था कि एक बदकार औरत ने एक दुराचारी पुलिस अधिकारी के  साथ सांठ - गाँठ करके तीन सज्जन व्यक्तिओं  पर बलात्कार का झूठा आरोप लगाकर समाज के उन तीन सज्जन और निर्दोष व्यक्तिओं को फंसा दिया।बड़ी मुश्किल से बिना किसी दोष के सज़ा भुगत रहे उन निर्दोषों को न्याय मिल पाया।

सोच कर ही दिल काँप उठता है कि यदि ऐसे में फांसी या लिंग काट देने की सख्त सजा होती तो उन बेचारे तीन निर्दोषों का क्या होता ?


इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि जहां बलात्कारीओं को बिना किसी दया के सख्त से सख्त सज़ा देने की आवश्यकता है वहीं इस बात की भी बहुत अधिक ज़रुरत है कि ऐसे किसी क़ानून का कोई भ्रष्ट पुलिस अधिकारी या अन्य क़ानून का रखवाला नाजायज़ इस्तमाल ना करने पाए ।

जोश में होश बनाए रखना बहुत ज़रूरी है।







Sunday, December 23, 2012

वाह री मेरी भोली सरकार

पिछले सप्ताह देश की राजधानी दिल्ली में ,देर शाम को , एक चलती बस में , एक युवती के साथ बड़ी  निर्ममता के साथ ,सामूहिक बलात्कार की घटना घटित हुइ।युवती एवम उसके साथी मित्र को बहुत ही वहशियाना तरीके से इतना अधिक मारा-पीटा गया कि दोनों को इलाज के लिए हस्पताल में भर्ती कराना पडा।लड़की की हालत बहुत नाज़ुक है।अब क्योंकि मामला बहुत अधिक तूल  पकड़ चुका है ,इसलिए डाक्टर भी जी-जान से उसे बचाने की कोशिश में लगे हैं।डाक्टरों का कहना यह है कि उन्होंने अपने जीवन में ,इतनी बेरहमी से मारी-पीटी गई ,बलात्कार की शिकार ,कोई भी लड़की या औरत कभी भी नहीं देखी।लड़की की हालत देख कर डाक्टरों का  भी कलेजा काँप उठा है।

ऐसे घिनौने समाचार अखबारों में प्रतिदिन पढने को मिलते हैं।समाज के चरित्र का इतना अधिक पतन हो गया है कि 2-2, 3-3 साल की नन्हीं बच्चियों तक के साथ यह दुराचार हो रहे हैं।बहुत से मामलों में दुराचारियों ने बच्चियों के साथ दुष्कर्म करके उनकी ह्त्या भी कर दी।पिछले दिनों एक युवक ने अपनी दादी की आयु की 80 वर्षीय बुज़ुर्ग महिला के साथ मुँह काला किया और फिर उसे डरा -धमका कर पीट कर भाग गया।

ऐसे अपराध रोज़ हो रहे हैं,क्योंकि ज़्यादातर मामलों में अपराधी अपने पैसे और अपने रसूख के दम पर पकडे नहीं जाते और पीड़ित महिला और उसके परिवार वालों को पुलिसवाले डरा - धमका कर चुप करा देते हैं,क्योंकि पुलिस वालों की जेबें भर दी गई होती हैं।नतीजतन अपराधी समाज में बेधड़क एवम और अधिक बेशर्मी से घुमते नज़र आते हैं।कहीं-कहीं जहाँ पर अपराधी छोटे-मोटे लोग होते हैं ,जिनके पास कोई ताकत नहीं होती उन्हें पुलिस गिरफ्तार भी कर लेती है, किन्तु वहाँ भी मामले अदालतों में 
बरसों घिसटते रहते है और पीड़ित बरसों तक न्याय की आस लगाते-लगाते आखिर थक जाते हैं,और न्याय की उम्मीद छोड़ कर  चुप होकर 
बैठ जाते हैं।

बलात्कार के मामलों में एक और बड़ी दुखदाई हालत पैदा हो जाती है।समाज में बलात्कार की शिकार महिला समाज की सहानुभूति पाने के स्थान पर हमेशा असामाजिक तत्वों की वहशी निगाहों की शिकार बन कर रह जाती है।शायद ही कोई उस की मदद करने की हिम्मत जुटा पाता  हो।
उलटा होता ये है कि पीड़ित महिला और उसका परिवार जीवनभर इस दर्द 
को झेलने को मजबूर हो जाते हैं।पीड़ित लड़की को स्कूल /कालेज से निकाल दिया जाता है और पीड़ित  महिलाओं को बिना किसी कसूर अपनी नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया जाता है।

हालात से बदतर होते जा रहे हैं और ऐय्याश ऐय्याशियाँ करते सीना ताने घूम रहे हैं ,क्योंकि पुलिस वालों की जेबें गर्म हो रही हैं।चारों तरफ बदमाशों और  पुलिस के गठजोड़ का बोल-बाला है।इस गठजोड़ को ख़त्म किये जाने की ज़रुरत है।हालात ऐसे पैदा किये जाने की ज़रुरत है कि पीड़ित महिला चाहे ग़रीब हो चाहे अमीर ,अपने साथ हुए अत्याचार के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाने के लिए बेधड़क पुलिस स्टेशन का रुख कर सके।
हालात ऐसे पैदा किये जाने चाहियें कि पीड़ित महिला के मन में विश्वास होना चाहिए कि पुलिस थाने में उस पर भोंडी फब्तियां नहीं कसी  जायेंगी 
बल्कि उसे न्याय दिलाने के लिए उसकी शिकायत पूरी सहानुभूति के साथ  
सुनी जायेगी , उसके ज़ख्मों पर मलहम लगाने का प्रयत्न होगा ना कि नमक छिड़कने का।

आज समाज में शायद कुछ चेतना जागी  है।बिना किसी स्वार्थी राजनितिक दल या किसी सामाजिक संगठन के बुलाये हज़ारों की संक्षा में 
नौजवान युवक-युवतियाँ बलात्कारिओं के विरुद्ध अपना रोष प्रकट करने के लिए इण्डिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन के निकट विजय चौक तक इकट्ठा हुए हैं।22 तारीख को सुबह 9 बजे से लेकर देर रात तक प्रचण्ड रोष प्रदर्शन होता रहा, लेकिन देश के कानून के रखवालों को यह प्रदर्शन हज़म नहीं हुआ।देश की युवा शक्ति की मानसिकता का सम्मान करने के स्थान पर मेरी भोली सरकार के चमचों ने इन जोशीले युवक-युवतीओं के सात्विक विचारों को कुचलने के लिए उन पर ठन्डे पानी की बौछार मारी।यही नहीं इन बच्चों को प्रदर्शन स्थल से खदेड़ने के लिए पुलिस के दरिंदों ने उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े और उन पर बड़ी निर्ममता से लाठियां भी बरसाईं।

लेकिन कमाल की हिम्मत है इन जवानों  की।भयंकर ठण्ड में ठन्डे पानी की मार , आंसू गैस के गोले और लाठियों की मार को झेलते हुए अपनी बात को सरकार के बहरे कानों तक पहुंचाने के लिए प्रदर्शन स्थल पर डटे रहे।

युवकों की मांगें गलत नहीं हैं।बलात्कार की पीड़ित महिलाओं को बिना देर किये न्याय मिलना चाहिए।जघन्य अपराध के मामले में अपराधियों को फांसी की सज़ा होनी चाहिए।

देश में न्याय व्यवस्था कायम करवाने के लिए लड़ाई लड़ रहे इन बहादुर और जोशीले क्रांतिवीरों को मेरा शत-शत प्रणाम।

इन क्रांतिवीरों पर किये गए सारे अत्याचारों के लिए मैं 72 साल का वरिष्ट नागरिक इन वीरों से सारे देश की ओर से क्षमा माँगता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि इनके इस ओजस्वी रोष प्रदर्शन से इस बहरी - अन्धी सरकार को होश आएगा और बलात्कार की पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलेगा।

आप क्या सोचते हैं ? अवश्य बताएं।
धन्यवाद।






Monday, December 10, 2012

औरंगजेब जिंदाबाद

   

 मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने अपने समय में हिन्दू तीर्थ यात्रियों पर जजिया कर लगाया था , जिसको याद करते हुए हिन्दू आज भी उसे कोसते हुए नहीं थकते .

  किन्तु आज जो हिन्दू बहुसंक्षक भारत देश की सिक्यूलर कही जाने वाली 
केन्द्रीय  सरकार हिन्दु तीर्थ यात्रिओं पर नए-नए  सरचार्ज लगा रही है वह औरंगजेब के जज़िया से किसी भी तरह कम नहीं .

 नए सरचार्ज के बारे में बात करने से पहले कुछ जानकारी सभी विद्वान् पाठकों को देना चाहता हूँ .

  समस्त विश्व में बस रहे हिन्दू जनमानस के ह्रदय में कुम्भ महापर्व का बहुत अधिक महत्त्व है। इस महापर्व के उपलक्ष पर लाखों श्रद्धालू कुम्भ स्थल पर पहुँचते हैं और स्नान आदि कर अपने को धन्य मानते हैं।

   कुम्भ महापर्व भारतवर्ष में जनमानस का सबसे बड़ा समागम है,जो हजारों वर्षों से देश-विदेश के हिन्दुओं को अपनी ओर लाखों की संक्षा में खींचता आ रहा है। 
   कालचक्र में सूर्य , चंद्रमा  एवम  बृहस्पति का विशेष महत्वपूर्ण स्थान है।इन तीनों ग्रहों का विशेष योग ही कुम्भ महापर्व का विशेष आधार है।
 नासिक , हरिद्वार , उज्जैन व  प्रयागराज  - इन तीर्थों में से किसी एक पर , हर बारह वर्ष के पश्चात सूर्य , चन्द्रमा व  बृहस्पति के  विशेष स्थिति में 
आने पर या यूं कहें कि बारह वर्ष के बाद जब ये त्तीनों गृह अपनी ख़ास स्थिति में आ जाते हैं तब कुम्भ महापर्व उपरोक्त चारों तीर्थों में से किसी एक में घटित होता है।

   माघ मास  की अमावस्या को जब सूर्य व चंद्रमा मकर राशि पर एवम बृहस्पति वृष पर स्थित हों तब तीर्थराज प्रयाग (इलाहाबाद )में कुम्भ महापर्व का योग बनता है।

    विक्रमी सम्वत 2069 में 10 फरवरी 2013,रविवार के दिन माघ मास की 
अमावस ( जिसे मौनी अमावस भी कहते हैं ) को सूर्य व  चंद्रमा मकर राशि पर इक्कट्ठे होंगे व  बृहस्पति वृष राशि में होंगे।अतः इस योग में प्रयागराज में कुम्भ का आयोजन होगा।यह आयोजन (मकर सक्रांति यानी 14 जनवरी 2013 से लेकर माघ पूर्णिमा ,25 फरवरी 2013 तक चलेगा। यह आयोजन प्रयागराज में बारह वर्षों के बाद होने वाला है।

      बाकी के तीनों तीर्थों में इन ग्रहों की किस विशेष स्थिति में कुम्भ महापर्व का आयोजन होता है वह कभी फिर बता पाऊँगा अभी इतना ही काफी है।

       
 उपरोक्त  विवरण पढ़कर सभी सुबुद्ध पाठक कुम्भ महापर्व का महत्त्व समझ गए होंगे।वैसे तो अधिकतर सभी लोग कुम्भ के बारे में थोड़ा-बहुत 
जानते ही हैं, परन्तु जो नहीं जानते उनकी सूचना  के लिए मैंने यह लघु विवरण देना उचित समझा।

    जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि इस महापर्व पर लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं बल्कि पिछले कुछ कुम्भ पर्वों का अनुभव तो यह बताता है कि अब हज़ारों की संक्षा में अमरीकी व योरप के दुसरे धर्मों के लोग भी इस पर्व पर यात्रियों के रूप में आते हैं। 

     अतः देश के हर कोने से यात्रियों को कुम्भ् स्थल तक ले जाने के लिए रेलवे विशेष ट्रेन चलाती है।

      अगर गहराई से विचार किया जाए तो हम पाएंगे कि लाखों लोगों के इस एक महीने से भी अधिक समय के दौरान यात्रियों के आवागमन से देश में आर्थिक-विकास के बहुत आयाम खुलते हैं।

       इतना अधिक महत्वपूर्ण पर्व होने के बावजूद भी हिन्दू बहुसंक्षक भारत देश की सेकुलर कहलाने में गर्व महसूस करने वाली सरकार 1 जनवरी 2013 से कुम्भ यात्रियों के किराए  भाड़े पर 5 रूपये  से 20 रूपये तक का सरचार्ज अतिरिक्त रूप से लेगी।

       बिना किसी द्वेषभाव के यहाँ यह और सूचना देना चाहूंगा कि सेकुलरिज्म के नाम पर हमारी यही सरकार हज यात्रा पर जाने वाले हमारे मुस्लिम भाइयों को हज यात्रा के किराये भाड़े में भारी रियायत देती है।

      यह कैसा सेकुलरिज्म है जहां बहुसंक्षक हिन्दू अपने ही देश में तीर्थ यात्रा पर जाने पर सरचार्ज देने पर विवश है।

       किसी ने ठीक कहा है कि एक नपुंसक (गलत शब्द के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ) की तरह हिन्दू की सहन शक्ति की भी कोई सीमा नहीं।भगवान् इन्हें सदबुद्धि  दें।


      इस विवरण को पढ़कर आप की क्या राय है ? मैं अवश्य जानना चाहूँगा।
       
     (  आजकल अपने को प्रगतिवादी कहलाने में गर्व महसूस करने वाले लोगों में हिन्दू के प्रति उपेक्षा का भाव रखना एक फैशन सा  हो गया है )

       इन्हीं शब्दों के साथ भारत सरकार के इस कृत्य की निन्दा व इसका विरोध करते हुए मैं अपने विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ और सभी पाठकों से निवेदन करना चाहता हूँ कि इस दुष्कृत्य का विरोध करते हुए सब लोग इस विवरण को अपने मित्रों के पास भी अग्रसित करें।