ॐ
किसको दोष दें ?
पिछले दिनों एक विदेशी लेखक वेन्डी डोनिजेर द्वारा लिखी एक पुस्तक , " द हिंदूस : एन आल्टरनेटिव हिस्ट्री " के नाम से पेंगुइन इंडिया ने छापी थी।
पुस्तक में हिंदुओं को और हिन्दू वीरों को बहुत गंदे रूप में प्रस्तुत किया गया था , जिसमें शिवाजी महाराज और रानी लक्ष्मी बाई जैसे व्यक्तित्वों कि भी निंदा कि गई थी।
इस पुस्तक के बेहूदा विवरणों के कारण हिन्दू समाज में काफी रोष व्याप्त हुआ था।
यहाँ तक कि एक सजग हिन्दू पाठक आदरणीय " श्री दीनानाथ बत्रा " ने पेंगुइन इंडिया पर अदालत में हिन्दू धर्म और हिन्दू वीरों के बारे में अनुचित प्रकरण छापने और हिंदुओं कि भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले को लेकर मुकदमा दाखिल कर दिया।
काफी खींच - तान के बाद पेंगुइन इंडिया ने अपनी गलती मानी और उन लोगों ने श्री दिन नाथ बत्रा से अदालत के बाहर समझौता करना बेहतर समझा।
समझौते के तहत पुस्तक बाज़ार से वापिस ले ली गई और सारी प्रतियों को नष्ट कर दिया गया।
एक तरफ पेंगुइन इंडिया और श्री बत्रा अपने इस शुभ कार्य के लिए प्रशंसा के पात्र हैं वहीं दूसरी तरफ हिंदुओं में ही ऐसे गद्दार मौजूद हैं जो पेंगुइन इंडिया के इस अदालत से बाहर किये गए समझौते को पाठकों के अधिकारों का हनन मान रहे हैं और उन्होंने उलटे पेंगुइन इंडिया पर अदालत में मुकदमा कर दिया है कि उनका ये कार्य पाठकों के अधिकारों के विरुद्ध है।
विरोध करने वालों में हमेशा कि तरह हिन्दू राष्ट्र विरोधी शक्तियां ही आगे हैं।
सभी हिंदुओं को एकजुट होकर अरुंधति रॉय और उसके साथियों कि हिन्दू विरोधी नीतियों कि निंदा करनी चाहिए।
किसको दोष दें ?
पिछले दिनों एक विदेशी लेखक वेन्डी डोनिजेर द्वारा लिखी एक पुस्तक , " द हिंदूस : एन आल्टरनेटिव हिस्ट्री " के नाम से पेंगुइन इंडिया ने छापी थी।
पुस्तक में हिंदुओं को और हिन्दू वीरों को बहुत गंदे रूप में प्रस्तुत किया गया था , जिसमें शिवाजी महाराज और रानी लक्ष्मी बाई जैसे व्यक्तित्वों कि भी निंदा कि गई थी।
इस पुस्तक के बेहूदा विवरणों के कारण हिन्दू समाज में काफी रोष व्याप्त हुआ था।
यहाँ तक कि एक सजग हिन्दू पाठक आदरणीय " श्री दीनानाथ बत्रा " ने पेंगुइन इंडिया पर अदालत में हिन्दू धर्म और हिन्दू वीरों के बारे में अनुचित प्रकरण छापने और हिंदुओं कि भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले को लेकर मुकदमा दाखिल कर दिया।
काफी खींच - तान के बाद पेंगुइन इंडिया ने अपनी गलती मानी और उन लोगों ने श्री दिन नाथ बत्रा से अदालत के बाहर समझौता करना बेहतर समझा।
समझौते के तहत पुस्तक बाज़ार से वापिस ले ली गई और सारी प्रतियों को नष्ट कर दिया गया।
एक तरफ पेंगुइन इंडिया और श्री बत्रा अपने इस शुभ कार्य के लिए प्रशंसा के पात्र हैं वहीं दूसरी तरफ हिंदुओं में ही ऐसे गद्दार मौजूद हैं जो पेंगुइन इंडिया के इस अदालत से बाहर किये गए समझौते को पाठकों के अधिकारों का हनन मान रहे हैं और उन्होंने उलटे पेंगुइन इंडिया पर अदालत में मुकदमा कर दिया है कि उनका ये कार्य पाठकों के अधिकारों के विरुद्ध है।
विरोध करने वालों में हमेशा कि तरह हिन्दू राष्ट्र विरोधी शक्तियां ही आगे हैं।
सभी हिंदुओं को एकजुट होकर अरुंधति रॉय और उसके साथियों कि हिन्दू विरोधी नीतियों कि निंदा करनी चाहिए।
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