Monday, December 10, 2012

औरंगजेब जिंदाबाद

   

 मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने अपने समय में हिन्दू तीर्थ यात्रियों पर जजिया कर लगाया था , जिसको याद करते हुए हिन्दू आज भी उसे कोसते हुए नहीं थकते .

  किन्तु आज जो हिन्दू बहुसंक्षक भारत देश की सिक्यूलर कही जाने वाली 
केन्द्रीय  सरकार हिन्दु तीर्थ यात्रिओं पर नए-नए  सरचार्ज लगा रही है वह औरंगजेब के जज़िया से किसी भी तरह कम नहीं .

 नए सरचार्ज के बारे में बात करने से पहले कुछ जानकारी सभी विद्वान् पाठकों को देना चाहता हूँ .

  समस्त विश्व में बस रहे हिन्दू जनमानस के ह्रदय में कुम्भ महापर्व का बहुत अधिक महत्त्व है। इस महापर्व के उपलक्ष पर लाखों श्रद्धालू कुम्भ स्थल पर पहुँचते हैं और स्नान आदि कर अपने को धन्य मानते हैं।

   कुम्भ महापर्व भारतवर्ष में जनमानस का सबसे बड़ा समागम है,जो हजारों वर्षों से देश-विदेश के हिन्दुओं को अपनी ओर लाखों की संक्षा में खींचता आ रहा है। 
   कालचक्र में सूर्य , चंद्रमा  एवम  बृहस्पति का विशेष महत्वपूर्ण स्थान है।इन तीनों ग्रहों का विशेष योग ही कुम्भ महापर्व का विशेष आधार है।
 नासिक , हरिद्वार , उज्जैन व  प्रयागराज  - इन तीर्थों में से किसी एक पर , हर बारह वर्ष के पश्चात सूर्य , चन्द्रमा व  बृहस्पति के  विशेष स्थिति में 
आने पर या यूं कहें कि बारह वर्ष के बाद जब ये त्तीनों गृह अपनी ख़ास स्थिति में आ जाते हैं तब कुम्भ महापर्व उपरोक्त चारों तीर्थों में से किसी एक में घटित होता है।

   माघ मास  की अमावस्या को जब सूर्य व चंद्रमा मकर राशि पर एवम बृहस्पति वृष पर स्थित हों तब तीर्थराज प्रयाग (इलाहाबाद )में कुम्भ महापर्व का योग बनता है।

    विक्रमी सम्वत 2069 में 10 फरवरी 2013,रविवार के दिन माघ मास की 
अमावस ( जिसे मौनी अमावस भी कहते हैं ) को सूर्य व  चंद्रमा मकर राशि पर इक्कट्ठे होंगे व  बृहस्पति वृष राशि में होंगे।अतः इस योग में प्रयागराज में कुम्भ का आयोजन होगा।यह आयोजन (मकर सक्रांति यानी 14 जनवरी 2013 से लेकर माघ पूर्णिमा ,25 फरवरी 2013 तक चलेगा। यह आयोजन प्रयागराज में बारह वर्षों के बाद होने वाला है।

      बाकी के तीनों तीर्थों में इन ग्रहों की किस विशेष स्थिति में कुम्भ महापर्व का आयोजन होता है वह कभी फिर बता पाऊँगा अभी इतना ही काफी है।

       
 उपरोक्त  विवरण पढ़कर सभी सुबुद्ध पाठक कुम्भ महापर्व का महत्त्व समझ गए होंगे।वैसे तो अधिकतर सभी लोग कुम्भ के बारे में थोड़ा-बहुत 
जानते ही हैं, परन्तु जो नहीं जानते उनकी सूचना  के लिए मैंने यह लघु विवरण देना उचित समझा।

    जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि इस महापर्व पर लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं बल्कि पिछले कुछ कुम्भ पर्वों का अनुभव तो यह बताता है कि अब हज़ारों की संक्षा में अमरीकी व योरप के दुसरे धर्मों के लोग भी इस पर्व पर यात्रियों के रूप में आते हैं। 

     अतः देश के हर कोने से यात्रियों को कुम्भ् स्थल तक ले जाने के लिए रेलवे विशेष ट्रेन चलाती है।

      अगर गहराई से विचार किया जाए तो हम पाएंगे कि लाखों लोगों के इस एक महीने से भी अधिक समय के दौरान यात्रियों के आवागमन से देश में आर्थिक-विकास के बहुत आयाम खुलते हैं।

       इतना अधिक महत्वपूर्ण पर्व होने के बावजूद भी हिन्दू बहुसंक्षक भारत देश की सेकुलर कहलाने में गर्व महसूस करने वाली सरकार 1 जनवरी 2013 से कुम्भ यात्रियों के किराए  भाड़े पर 5 रूपये  से 20 रूपये तक का सरचार्ज अतिरिक्त रूप से लेगी।

       बिना किसी द्वेषभाव के यहाँ यह और सूचना देना चाहूंगा कि सेकुलरिज्म के नाम पर हमारी यही सरकार हज यात्रा पर जाने वाले हमारे मुस्लिम भाइयों को हज यात्रा के किराये भाड़े में भारी रियायत देती है।

      यह कैसा सेकुलरिज्म है जहां बहुसंक्षक हिन्दू अपने ही देश में तीर्थ यात्रा पर जाने पर सरचार्ज देने पर विवश है।

       किसी ने ठीक कहा है कि एक नपुंसक (गलत शब्द के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ) की तरह हिन्दू की सहन शक्ति की भी कोई सीमा नहीं।भगवान् इन्हें सदबुद्धि  दें।


      इस विवरण को पढ़कर आप की क्या राय है ? मैं अवश्य जानना चाहूँगा।
       
     (  आजकल अपने को प्रगतिवादी कहलाने में गर्व महसूस करने वाले लोगों में हिन्दू के प्रति उपेक्षा का भाव रखना एक फैशन सा  हो गया है )

       इन्हीं शब्दों के साथ भारत सरकार के इस कृत्य की निन्दा व इसका विरोध करते हुए मैं अपने विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ और सभी पाठकों से निवेदन करना चाहता हूँ कि इस दुष्कृत्य का विरोध करते हुए सब लोग इस विवरण को अपने मित्रों के पास भी अग्रसित करें।

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