ये टोपी बाज़
हमारे नेतागण पिछले कई दशकों से देश की जनता को कोई ना कोई टोपी पहनाते ही आ रहे हैं। जब भी कोई विपदा या चुनाव सर पर होते हैं तब , हर बार कोई ना कोई नया बहाना बना कर, ये कांग्रेसी नेता जनता को मूर्ख बनाने में कामयाब होते ही रहे हैं। इस प्रकार देखा जाए तो जनता को नई से नई टोपी पहनाना नेताओं का पेशा है।
" टोपी पहनाना ", ये मुहावरा किसी को बेवकूफ बनाने के लिए प्रयोग होता है और अपने समाज में अक्सर हम कुछ अधिक चंट लोगों को सज्जन आदमियों का बेवकूफ बना कर अपना उल्लू सीधा करते देखते हैं यानी ये चंट लोग समाज के सीधे-साधे लोगों को टोपी पहनाते रहते हैं और अपने मन में अपनी होशिआरि पर खुश होते रहते हैं।
पिछले कई महीनों से काफी सयाने लोग श्री नरेन्द्र मोदी को टोपी पहनाने की कोशिश में लगे हैं , पर वो भाई है , कि किसी को हाथ ही नहीं धरने देता।
एक बड़े मज़े की बात ये हो रही है कि अगर कहीं किसी गली का कुत्ता भी श्री नरेन्द्र मोदी पर भौंक दे तो सारा मीडिया चिल्लाने लगता है कि अब कुत्ते भी नरेन्द्र मोदी से तंग हैं और उनके ऊपर भौंकने लगे हैं।
कुछ इससे मिलतीजुलती घटना आज -तब हुई जब म प्र के मु म श्री शिवराज सिंह चौहान के मंच से एक छोटे-मोटे रोल अदा करने वाले एक मुस्लिम सम्प्रदाय के अभिनेता रज़ा मुराद ने ईद के मौके पर श्री शिवराज सिंह द्वारा मुस्लिम टोपी पहनने पर ,उनकी खूब तारीफ़ कर डाली और उनकी आड़ में मोदी जी पर व्यंग करते हुए कहा कि टोपी पहन लेने से धर्म नहीं बदल जाता और शेष मु मंत्रियों को भी इनसे शिक्षा लेनी चाहिए।
रज़ा मुराद ने यहाँ तक कहा कि भीम राव आंबेडकर जी ने इस देश के संविधान में हर व्यक्ति को अपने तरीके से अपना धर्म निभाते हुए जीने का हक़ दिलाया है , ये बात कहते हुए रज़ा मुराद अपने मुस्लिम भाइयों को ये कहना भूल गया कि जैसे टोपी पहनने से धर्म नहीं बदल जाता , वैसे ही " वन्दे मातरम् " बोलने से ईमान भी खतरे नहीं पड़ जाता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर आप देश के सम्मान से नहीं खेल सकते।
रज़ा मुराद के बहाने सभी भाई-बहनों को एक बात बताना चाहता हूँ कि गुजरात में इस बार के चुनावों में श्री मोदी की जीत केवल किसी एक जाति ,वर्ग या धर्म के कारण नहीं हुई बल्कि उन्हें हर वर्ग और हर धर्म के लोगों का सहयोग प्राप्त हुआ , मज़े की बात ये कि चाहे अहमदाबाद शहर हो या गुजरात का कोई दूसरा मुस्लिम-बहुल क्षेत्र ,सब जगह से कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशियों को हराकर बी जे पी के हिन्दू प्रत्याशी भारी मतों से जीते। ये सारे मीडिया और अपने को सेकूलर कहलाने वाले सब लोगों के मुंह पर एक करारा तमाचा था।
सब हैरान थे , ये क्या हो गया ? , कैसे हो गया ?
असलियत ये है कि मोदी जी के मु मन्त्री बनने से पहले गुजरात में किसी ना किसी वज़ह से दंगे भड़कते ही रहते थे। जान और माल दोनों की बहुत भारी तादाद में नुक्सान की शंका बनी रहती थी , चाहे हिन्दू हों या मुसलमान दोनों का बहुत नुक्सान होता था।
जब से मोदी जी आये हैं , २००२ के दंगों के बाद गुजरात में अमन चैन है ,लोग खुश हैं और आराम की जिंदगी गुज़ार रहे हैं। क्या हिन्दू क्या मुसलमान सब का व्यापार फल-फूल रहा है।
लेकिन इन सब बातों के बावजूद ये बिका हुआ मीडिया और कुछ शरारती तत्व केवल देश की जनता को सिर्फ , " टोपी ही पहनाना " चाहते हैं।
क्योंकि ये जानते हैं कि अगर श्री मोदी जी प्रधान मंत्री बन गए तो दूसरों को टोपी पहनाना तो दूर ये खुद भी टोपी पहनना भूल जायेंगे।
बस करो यार कब तक टोपी पहनाओगे ?
हमारे नेतागण पिछले कई दशकों से देश की जनता को कोई ना कोई टोपी पहनाते ही आ रहे हैं। जब भी कोई विपदा या चुनाव सर पर होते हैं तब , हर बार कोई ना कोई नया बहाना बना कर, ये कांग्रेसी नेता जनता को मूर्ख बनाने में कामयाब होते ही रहे हैं। इस प्रकार देखा जाए तो जनता को नई से नई टोपी पहनाना नेताओं का पेशा है।
" टोपी पहनाना ", ये मुहावरा किसी को बेवकूफ बनाने के लिए प्रयोग होता है और अपने समाज में अक्सर हम कुछ अधिक चंट लोगों को सज्जन आदमियों का बेवकूफ बना कर अपना उल्लू सीधा करते देखते हैं यानी ये चंट लोग समाज के सीधे-साधे लोगों को टोपी पहनाते रहते हैं और अपने मन में अपनी होशिआरि पर खुश होते रहते हैं।
पिछले कई महीनों से काफी सयाने लोग श्री नरेन्द्र मोदी को टोपी पहनाने की कोशिश में लगे हैं , पर वो भाई है , कि किसी को हाथ ही नहीं धरने देता।
एक बड़े मज़े की बात ये हो रही है कि अगर कहीं किसी गली का कुत्ता भी श्री नरेन्द्र मोदी पर भौंक दे तो सारा मीडिया चिल्लाने लगता है कि अब कुत्ते भी नरेन्द्र मोदी से तंग हैं और उनके ऊपर भौंकने लगे हैं।
कुछ इससे मिलतीजुलती घटना आज -तब हुई जब म प्र के मु म श्री शिवराज सिंह चौहान के मंच से एक छोटे-मोटे रोल अदा करने वाले एक मुस्लिम सम्प्रदाय के अभिनेता रज़ा मुराद ने ईद के मौके पर श्री शिवराज सिंह द्वारा मुस्लिम टोपी पहनने पर ,उनकी खूब तारीफ़ कर डाली और उनकी आड़ में मोदी जी पर व्यंग करते हुए कहा कि टोपी पहन लेने से धर्म नहीं बदल जाता और शेष मु मंत्रियों को भी इनसे शिक्षा लेनी चाहिए।
रज़ा मुराद ने यहाँ तक कहा कि भीम राव आंबेडकर जी ने इस देश के संविधान में हर व्यक्ति को अपने तरीके से अपना धर्म निभाते हुए जीने का हक़ दिलाया है , ये बात कहते हुए रज़ा मुराद अपने मुस्लिम भाइयों को ये कहना भूल गया कि जैसे टोपी पहनने से धर्म नहीं बदल जाता , वैसे ही " वन्दे मातरम् " बोलने से ईमान भी खतरे नहीं पड़ जाता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर आप देश के सम्मान से नहीं खेल सकते।
रज़ा मुराद के बहाने सभी भाई-बहनों को एक बात बताना चाहता हूँ कि गुजरात में इस बार के चुनावों में श्री मोदी की जीत केवल किसी एक जाति ,वर्ग या धर्म के कारण नहीं हुई बल्कि उन्हें हर वर्ग और हर धर्म के लोगों का सहयोग प्राप्त हुआ , मज़े की बात ये कि चाहे अहमदाबाद शहर हो या गुजरात का कोई दूसरा मुस्लिम-बहुल क्षेत्र ,सब जगह से कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशियों को हराकर बी जे पी के हिन्दू प्रत्याशी भारी मतों से जीते। ये सारे मीडिया और अपने को सेकूलर कहलाने वाले सब लोगों के मुंह पर एक करारा तमाचा था।
सब हैरान थे , ये क्या हो गया ? , कैसे हो गया ?
असलियत ये है कि मोदी जी के मु मन्त्री बनने से पहले गुजरात में किसी ना किसी वज़ह से दंगे भड़कते ही रहते थे। जान और माल दोनों की बहुत भारी तादाद में नुक्सान की शंका बनी रहती थी , चाहे हिन्दू हों या मुसलमान दोनों का बहुत नुक्सान होता था।
जब से मोदी जी आये हैं , २००२ के दंगों के बाद गुजरात में अमन चैन है ,लोग खुश हैं और आराम की जिंदगी गुज़ार रहे हैं। क्या हिन्दू क्या मुसलमान सब का व्यापार फल-फूल रहा है।
लेकिन इन सब बातों के बावजूद ये बिका हुआ मीडिया और कुछ शरारती तत्व केवल देश की जनता को सिर्फ , " टोपी ही पहनाना " चाहते हैं।
क्योंकि ये जानते हैं कि अगर श्री मोदी जी प्रधान मंत्री बन गए तो दूसरों को टोपी पहनाना तो दूर ये खुद भी टोपी पहनना भूल जायेंगे।
बस करो यार कब तक टोपी पहनाओगे ?
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